
विश्व संस्कृत दिवस जिसे विश्व संस्कृत दिनम् भी कहा जाता है, हर साल संस्कृत भाषा के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिन उस प्राचीन और पवित्र भाषा को समर्पित है जिसे भारतीय संस्कृति की आत्मा कहा जाता है। संस्कृत न केवल धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों की भाषा है, बल्कि इसमें साहित्य, विज्ञान, गणित, चिकित्सा और खगोलशास्त्र जैसे अनेक विषयों का गहन ज्ञान समाहित है।
विश्व संस्कृत दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व संस्कृत दिवस हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई या अगस्त में पड़ती है। तिथि हर वर्ष चंद्र कैलेंडर के अनुसार बदलती रहती है। इस वर्ष 2025 में ये दिवस 19 अगस्त को मनाया जा रहा है।
संस्कृत का महत्व
संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। इसके प्रारंभिक स्वरूप वेदों में पाए जाते हैं, जिन्हें भारतीय सभ्यता का मूल आधार माना जाता है। संस्कृत को “देववाणी” कहा जाता है, जिसका अर्थ है देवताओं की भाषा।
यह भाषा न केवल धार्मिक अनुष्ठानों की आधारशिला है, बल्कि इसमें रचे गए ग्रंथों ने साहित्य, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, गणित और दर्शन के क्षेत्रों में अमूल्य योगदान दिया है।
विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास
भारत सरकार ने 1969 में संस्कृत दिवस मनाने की परंपरा शुरू की थी। इसका उद्देश्य लोगों को संस्कृत सीखने, बोलने और इसके संरक्षण के लिए प्रेरित करना था। तब से लेकर अब तक स्कूलों, विश्वविद्यालयों और सांस्कृतिक संस्थानों में यह दिन उत्साह के साथ मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है?
इस दिन देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं:
- संस्कृत भाषण और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ
- श्लोक और मंत्रों का पाठ
- संस्कृत भाषा सीखने की कार्यशालाएँ
- संस्कृत नाटकों और गीतों का मंचन
इन गतिविधियों का उद्देश्य संस्कृत को आधुनिक जीवन में फिर से लोकप्रिय बनाना है।
आज के समय में महत्व
संस्कृत केवल अतीत की भाषा नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का जीवंत हिस्सा है। इसमें वह ज्ञान संरक्षित है जो पीढ़ियों से मानवता को दिशा देता आया है। संस्कृत का संरक्षण और प्रचार हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है।
विश्व संस्कृत दिवस केवल एक भाषा का उत्सव नहीं, बल्कि उस अमूल्य विरासत को जीवित रखने का संकल्प है जो संपूर्ण मानवता की संपत्ति है। यदि हम प्रतिदिन कुछ संस्कृत शब्द बोलें या वेदों से एक श्लोक पढ़ें, तो हम इस अनमोल धरोहर के संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।